इस भारतीय मंदिर में शाम को जाने की मनाही है

इस भारतीय मंदिर में शाम को जाने की मनाही है
भारत में कुल 10 लाख से भी ज्यादा मंदिर स्थापित हैं इनकी कुल संख्या बता पाना नामुमकिन है सभी मंदिरों में अलग-अलग खासियत है कोई अपने ढांचे के लिए मशहूर है तो कोई रहस्यमय घटनाओं के लिए भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जहां कई प्रकार की रहस्यमय घटनाएं होती रहती है इसकी वजह से भी वह चर्चा का विषय बना रहता है देश के हर कोने में ऐसे ही आपको अनेकों मंदिर मिल जाएंगे लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां शाम होते ही मंदिर से लोग भागने लगते हैं रात में कोई गलती से भी उस मंदिर में रुकना नहीं चाहता है कहां है यह मंदिर क्यों लोग डरता हैं क्या है मंदिर का है आइए जानते हैं

किराडू मंदिर
कहां स्थित है यह मंदिर
यह मंदिर राजस्थान के बंटवारे जिले में मौजूद है जिसका नाम किराडू मंदिर है इसे राजस्थान के खुजराहो के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर के बनावट दक्षिण भारतीय शैली में की गई है इसके वास्तुकला यहां के परंपरागत है बाहरी प्रभाव का मिश्रण है जिसकी वजह से यह दुनिया भर में मशहूर है कहा जाता है कि 1161 शाहपुर या जगह करा ग्रुप के नाम से जाना जाता था इस मंदिर की पांच श्रृंखला है जिसमें शिव मंदिर और विष्णु मंदिर ही थोड़े बेहतर स्थिति में है बाकी मंदिर अब खंडहर बन चुके हैं साफ तौर पर यह मालूम नहीं चल पाया है कि इस मंदिर का निर्माण किसने किया ऐसा माना जाता है कि गुप्त वंश वंश या गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना की होगी
रात में क्यों नहीं रुकते हैं लोग
इस मंदिर में शाम के बाद रुकने से इतने कतराते हैं क्योंकि उनका मानना है कि जो भी शाम के बाद इस मंदिर में रुका हुआ पत्थर का बन गया लोग इस बात से डरते हैं कहीं वह भी इस मंदिर में रुके तो पत्थर के ना बन जाए

किराडू मंदिर राजस्थान
क्या है इस मान्यता के पीछे की वजह
क्या है इस मान्यता के पीछे की वजह लोगों का कहना है कई साल पहले किराडू मंदिर में एक साधु और उनके शिष्य से आए थे शिष्यो को मंदिर में छोड़कर बाहर घूमने चले गए तभी उनके एक शिष्य की तबीयत बिगड़ गए जब बाकी शिष्यों ने गांव वालों से सहायता मांगी तो किसी ने उनकी सहायता नहीं की जब सिद्ध साधु वापस आए तो उन्होने क्रोधित होकर गांव के लोगों को श्राप दे दिया और कहां सूर्यास्त होते ही सारे गांव वाले पत्थर में तब्दील हो जाए इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि एक स्त्री ने शिष्यो की सहायता की थी इसलिए साधु ने उस स्त्री को गांव छोड़कर जाने को कहा था और पीछे मुड़कर देखने से मना किया था कि उसने पीछे मुडकर देखा तो पत्थर में तब्दील हो गई उस महिला की मूर्ति को भी मंदिर से कुछ दूरी स्थापित किया गया है